KANDWAL
Saturday, October 23, 2010
वापसी ..........लम्बे समय बाद !
एक बार फिर से याद आये ब्लॉग की सो लौट आया .................आप के साथ।
Thursday, December 31, 2009
Sunday, December 6, 2009
सुविधा या समझ
बाइबिल से .............
ईसा एक गाव से हो कर जा रहे थे तो उन्होंने देखा एक व्यक्ति को वेश्या के पीछे भागते हुई देखा। व्यक्ति का चेहरा उन्हें कुछ पहचाना-सा लगा। ईसा ने उसे रोका और पुराणी घटना याद करते हुए कहा "अरे ! तू तो वही है जीसे दो वर्ष पूर्व अपने अंधेपन से छुटकारा दिलाने के लिये मुझे गुहार की थी और मैं परमात्मा से याचना करके तुझे नेत्र-ज्योति दिलवाई थी।"
उस व्यक्ति ने ईसा को पहचान लिया और कहा "आप सच कहते हैं।"
"मैं तुम्हे दृष्टी क्या इसलिये दिलवाई थी की तुम एईसे घिनोने काम करो ।" ईसा दुखी होकर कहा ।
व्यक्ति कुछ देर तक आंसू बहता रहा , फिर उस ने ईसा के चरण चूम कर कहा ,"आप में नेत्र -ज्योति दिलाने की सामर्थ्य थी, परन्तु विवेक द्र्स्थी दिलाई होती तो कितना अच्हा होता।"
ईसा ने आज एक नया पाठ पढ़ा। फिर वे लोगो को सुविधा दिलाने की अपेक्षा उनकी समझ सुधरने को परत्मिकता देने लगे।
ईसा एक गाव से हो कर जा रहे थे तो उन्होंने देखा एक व्यक्ति को वेश्या के पीछे भागते हुई देखा। व्यक्ति का चेहरा उन्हें कुछ पहचाना-सा लगा। ईसा ने उसे रोका और पुराणी घटना याद करते हुए कहा "अरे ! तू तो वही है जीसे दो वर्ष पूर्व अपने अंधेपन से छुटकारा दिलाने के लिये मुझे गुहार की थी और मैं परमात्मा से याचना करके तुझे नेत्र-ज्योति दिलवाई थी।"
उस व्यक्ति ने ईसा को पहचान लिया और कहा "आप सच कहते हैं।"
"मैं तुम्हे दृष्टी क्या इसलिये दिलवाई थी की तुम एईसे घिनोने काम करो ।" ईसा दुखी होकर कहा ।
व्यक्ति कुछ देर तक आंसू बहता रहा , फिर उस ने ईसा के चरण चूम कर कहा ,"आप में नेत्र -ज्योति दिलाने की सामर्थ्य थी, परन्तु विवेक द्र्स्थी दिलाई होती तो कितना अच्हा होता।"
ईसा ने आज एक नया पाठ पढ़ा। फिर वे लोगो को सुविधा दिलाने की अपेक्षा उनकी समझ सुधरने को परत्मिकता देने लगे।
सुधीर निगम
१०४ ऐ /३१५, रामबाग
कानपूर
१०४ ऐ /३१५, रामबाग
कानपूर
Saturday, December 5, 2009
सोच
एक कहानी पढ़ी कहानी कुछ इस प्रकार थी ..............
एक परिवार जो मधियम वर्ग का था शहर में रहता है और सामान्य जीवन व्यतीत कर ता है । एक दिन उन के चाचा जी आते हैं । पति पत्नी उन्हें देखकर परेशान हो जाते है की कहीं ये हम से कुछ पैसा आदि न मांग ले ...........
परिवार तनाव में । पति सोचता है की अभी खर्चा अधिक है बचे की फीस, लड़की की दवाई और अन्य खर्चे भी हैं । और चाचा जी भी आ गए ।
इसी उधेड़बुन में खाना खाया जाता है परन्तु चाचा जी खाने के बाद उनको दस हज़ार रुपये दे कर वापस चले जाते हैं दोनों पति पत्नी एक दुसरे को देखते हुए सोचते रह्जाते हैं...............!
शायद यह हर घर की कहानी है ..........उस व्यक्ति की जगह मैं भी हो ता तो यही सोचता क्योकि आज के हालात हैं यह सब करने व् सोच ने पैर मजबूर कर देते हैं.............................!
एक परिवार जो मधियम वर्ग का था शहर में रहता है और सामान्य जीवन व्यतीत कर ता है । एक दिन उन के चाचा जी आते हैं । पति पत्नी उन्हें देखकर परेशान हो जाते है की कहीं ये हम से कुछ पैसा आदि न मांग ले ...........
परिवार तनाव में । पति सोचता है की अभी खर्चा अधिक है बचे की फीस, लड़की की दवाई और अन्य खर्चे भी हैं । और चाचा जी भी आ गए ।
इसी उधेड़बुन में खाना खाया जाता है परन्तु चाचा जी खाने के बाद उनको दस हज़ार रुपये दे कर वापस चले जाते हैं दोनों पति पत्नी एक दुसरे को देखते हुए सोचते रह्जाते हैं...............!
शायद यह हर घर की कहानी है ..........उस व्यक्ति की जगह मैं भी हो ता तो यही सोचता क्योकि आज के हालात हैं यह सब करने व् सोच ने पैर मजबूर कर देते हैं.............................!
Friday, December 4, 2009
Wednesday, March 11, 2009
होली
Wednesday, January 21, 2009
बराक ओबामा के ताज पोसी
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